सब्र।।
ना मैने उसे देखा है
ना मैं इसे कभी देख पायी,
ना उस पर किसी का बस चल पा रहा
ना इस पर मैं कभी अपना बस चला पायी,
ना वो किसी के रोके रुकने को तैयार है
ना इसे मैं कभी शांत कर पायी,
संक्रामक वो भी काफी है,
और चाह कर भी मैं इसे फैलने से नहीं रोक पायी।
एक शैतान बाहर अपना खौंफ बनाए बैठा है
पर एक घातक शैतान मेरे अन्दर भी रहता है,
वो शायद छूने से फैलता है,
ये तो सिर्फ होने से फैल रहा है,
उसका खिलौना तो इंसान बन गया,
पर ये तो इंसान के जज़्बातों से खेल रहा है।
उस से बचने के लिए लोग दूर रहने लगे है,
मगर ये तो खुद ही दूरियां बनाए जा रहा है।
बहुत सुना है उसके बारे में,
पर ये ज़ालिम तो खुद मेरी ही आवाज़ दबाए जा रहा है।
उसका नाम तो हम सभी जान चुके,
इसको क्या नाम दू
ये कोई कण नहीं
ये तो भीतर छुपा अंधेरा है।
खैर छोड़ो,
क्या फायदा इन्हे इतना बड़ा बनाने का,
कुछ कोशिश करते है चलो,
खुदका मनोबल बढ़ाने का,
खुदका मनोबल बढ़ाने का,
अंत जब हर चीज़ का तय है,
तो फिर किस नाम का ये भय है,
थोड़ी सब्र, थोड़ा इत्मीनान,
एक सफल प्रयास से परिचय,
बस इन शैतानों का विनाश तय है।
कुछ कायदे है लड़ने के,
बेशक, कुछ फायदे है लड़ने के,
जीतने कि चाह है अगर,
तो क्या मायने है लड़ने के।
दूरी बनाकर रखना है थोड़ी,
हारेगा वो शैतान भी,
गिड़गिड़ाएगा ये शैतान भी,
ए दोस्त, तू सब्र तो रख थोड़ी।
सिलसिला लंबा है ये,
महज़ दो दिन का है खेल थोड़े ही,
सुबह तो होनी ही है,
सिर्फ रात का है आलम थोड़े ही,
सिलसिला लंबा है ये,
सब्र रखते है थोड़ी।
जीत रोशनी की ही होनी है,
बस सब्र रखते है थोड़ी।
👌👌👍
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete🤞🤞🤞
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteNice....
ReplyDeleteNicely written madam 🙏🏼😍
ReplyDeleteMehfil ae lockdown ko char chand lagati h ye pangtiya👌👌
ReplyDelete😊👍
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteShandaar.
ReplyDeleteVery nicely written 👌
ReplyDelete👌👌👌👌👌👌
ReplyDelete✌️👍✨🔥👌
ReplyDeleteBhot hard
ReplyDelete💯👌
ReplyDelete