पलट कर देख..!!
चलते चलते जब कदम थकने लगे,
तूझे लगा वो कमजोरी है मेरी!
जब पलटने के लिए मै मुड़ने लगी,
मुझे डराने की पूरी साजिश थी तेरी!
आ तुझे रूबरू करवाएं कुछ बातों से,
चंद अल्फाज़ मेरे, जरूरत है तेरी!
सुन…
पीछे मुड़कर देखना आदत है मेरी
तकलीफें हैं,
ये महज़ शिकायत है तेरी!
जो फासला मैंने तय किया है अब तक
उसी में छुपी ताकत है मेरी!
जो छूट गया उसको याद कर रुक जाना
कुछ और नहीं, इनायत है तेरी!
अब पलट कर आगे चलना है,
जिसकी पूरी तैयारी है मेरी!
तू भी छोड़ इन चुम्बकीय जंजीरों को
यही तुझे हिदायत है मेरी!
मंज़िल से फासला देख कर डर न जाना,
तेरे शुरुआती डगमगाते कदमों मे ही
आधी कामयाबी है तेरी!
उस कदम के बाद की तेरी रफ़्तार!
दिल-ए-इत्मीनान उसी में है तेरी!!
पलट कर देखना भुलना नही
दिल-ए-इत्मीनान उसी में है तेरी!!
दिल-ए-इत्मीनान उसी में है तेरी!!
This is deep too deep . Very nicely written
ReplyDeleteKyya baat kyya baat
ReplyDeleteAwesome!!
ReplyDeleteAwesome yaar!o
ReplyDeleteYeah sherni...awesome lines👌👌
ReplyDeleteDeep shit.
ReplyDeleteThis one is best
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